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Listen out podcasts on issues that matter!
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Savarnas don’t know caste—the same way a fish does not know water. When you breathe, see, feel, and thrive within a system, it is difficult to notice it, let alone know it. How does a fish then know water? By starting to know itself, of course.
When Rohan chooses this way to learn about caste, he ends up learning a lot about himself. As Rohan and his friends open up about their experiences of caste, caste moves beyond titles and reservations and starts becoming like water—shape-shifting, yet ever-present. Listen to Rohan in this education edition episode as he looks for caste in his own memories and, in the process, pulls out reflective voices and experiences.
Rohan has participated in the EduLog programme with The Third Eye for its Education Edition. The EduLog mentored 12 writers and image-makers from India, Nepal and Bangladesh to remember—in the present continuous—their experience of education from a feminist lens.
Illustration by Uma Ketha
Podcast Script and Interviews by Rohan
Produced and Edited by Madhuri Adwani
शहरों, महानगरों में रहते हुए जब हम काम या पढ़ने-लिखने की जगहों, दोस्तों की महफिलों में ये कहते हैं कि, ‘यहां जाति कहां हैं? हम तो किसी तरह का भेद-भाव नहीं करते.’ उस वक्त हम यह भूल जाते हैं कि यहां तक पहुंचने में कौन-कौन मेरे साथ चल रहा था? उनमें किस-किस जाति के लोग शामिल थे? क्या ऐसा था कि स्कूल से लेकर दफ्तर तक मुझे हर जगह अपने जैसे विशेषाधिकार प्राप्त जाति के लोग ही मिले? तो, निम्न जाति के लोग कहां हैं?
उस वक्त ज़रूरत बस निगाह उठाकर अपने आसपास देखने की होती है. आपने कभी ये करके देखा है?
मुम्बई, महाराष्ट्र के रहने वाले रोहन के लिए भी अपने सरनेम पर गौरव महसूस करना और आरक्षण का विरोध कर रिज़र्व श्रेणी की जातियों को अपनी परेशानी का कारण बताना बहुत आसान था. लेकिन, एक फेलोशिप पर काम करने के दौरान जब रोहन ने निगाह उठाकर अपने आसपास देखने की कोशिश की तब उसे जाति और उससे जुड़े विशेषाधिकारों के बारे में पता चला. इस प्रक्रिया में रोहन ने जाति के बारे में जितना जाना उतना ही बचपन से भर दी गई बनी-बनाई धारणाओं के पहाड़ को तोड़ने में उसे मदद मिली. इ
स पॉडकास्ट के ज़रिए रोहन और अलग-अलग राज्यों से आने वाले उसके दोस्त जाति के अपने अनुभवों, उसका सामना, उससे प्राप्त सुविधाओं और पहचान के बारे में अपनी बात रख रहे हैं. सुनिए ‘जाति कहां हैं?’ एडु-लोग रोहन द्वारा तैयार किया गया पॉडकास्ट. इसे सुनने के बाद हमें यकीन है कि जाति कहां है – इस वाक्य को दुबारा बोलने से पहले आप ज़रूर सोचेंगे!
चित्रण: उमा केथा
साक्षात्कार एवं पॉडकास्ट कथानक (स्क्रिप्ट) - रोहन
माधुरी आडवाणी द्वारा संपादित और निर्मित
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Robert Fox
August 25, 2022
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August 25, 2022
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