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Listen out podcasts on issues that matter!
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आज के तकनीकीकरण के दौर में हम "Gig Work" या "Platform Work " जैसे नाम बहुत सुनते हैं। इस तरह का काम बहुत सारी एग्रीगेटर
कम्पनीज के द्वारा मोबाइल एप्लीकेशन की सहायता से संचालित किया जाता हे। इन् कम्पनीज में "फ़ूड या खाद्य एग्रीगेटर कम्पनी" जैसे की Zomato, Swiggy, Big Basket के नाम काफी प्रचलित हैं। इस तरह के "Gig Work" के तहत लोगों को लघु या दीर्घ अवधि के लिए काम दिया जाता हे और इन् लोगों का काम एक दिहाड़ी मजदूर के सामान ही होता हे।
इस तरह के कम्पनियों के आने से रोज़गार के अवसर तो बढ़ें हैं, लेकिन क्या तकनीकीकरण की इस दौड़ में पारदर्शिता या काम करने वाले श्रमिक के अधिकार भी बढ़े हैं? क्या श्रमिक इस तरह के रोज़गार में एक स्थायी नौकरी और एक अच्छा जीवन जीने की चाह को पूरा कर पाते हैं? क्या वह अपनी मज़दूरी या काम के हालात खुद सुधार पाते हैं? उनकी क्या अपेक्षायें हैं?
इन्ही प्रशनो के उत्तर और "Gig Work" या "Platform Work" के बारे में विस्तार से जानने के लिए हम लाये हैं "काम की ज़िंदगी" एक नयी मिनी - सीरीज। बात मुलाकात की इस नयी मिनी - सीरीज के पहले एपिसोड में होस्ट अनुमेहा यादव ने एक फ़ूड डिलीवरी वर्कर अहमद से बात की, जो कि यह काम पिछले दो साल से कर रहे हैं और करोना महामारी आने के बाद भी अपनी पढ़ाई के साथ साथ भी इन्होने ये काम जारी रखा हे।
सुनो इंडिया ने इन मुद्दों पर Zomato को 17 मई को ई मेल पर लिखित सवाल भेज कर और जानकारी माँगी। एपिसोड लाइव होने तक उनका इस पर कोई जवाब नहीं आया था।
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Robert Fox
August 25, 2022
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